*927 बसा हुआ भगवान सबके मन मंदिर में।।426।।

                               426
बसा हुआ भगवान सबके मन मंदिर में।
हरि का देवस्थान सबके मन मंदिर में।।

एक जगह है ना उससे खाली पत्ता पत्ता डाली डाली।
नूर उसी का रूप उसी का पशु पक्षी इंसान।।

सारा जग विस्तार उसी का सबको है आधार उसी का।
जन्मे पाले संहारे व्यापक ईश महान।।

सबके अंतर्मन की जाने गली गली घर घर के जाने।
सब में सबका होकर रहता सबका एक समान।।

ऊंच-नीच अंतर नहीं माने भाव भक्ति देखे पहचान।
दोषी या निर्दोष भले ही करता है कल्याण।।

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