*847 भाई तेरा कोई ना अपना है।।
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भाई तेरा कोई ना अपना सै।।
झूठी दुनियादारी में सब झूठा सपना से।।
वचन भरा के जग में एक सतगुरु को भजना से।
मेहर करी मानुष तन पाया नेकी कर चलना है।।
मात-पिता तेरा कुटुंब कबीला सब झूठा झगड़ा है।
पानी जैसा बना बुलबुला हवा लगते ढहना है।।
यह दुनिया तो जगत सराय तनै 1 दिन तजना से।
पुरानी संतो का सत्संग कर दे जो भव से तरना है।।
सच्चा सौदा कर ले रे ना तू 1 दिन ठगना से।
कह संत मान सिंह मुक्ति पावे जीते जी मरना से।।
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