*256 नाम हरि का जप ले बंदे फिर पीछे पछतायेगा।।99।।
नाम हरि का जप ले बंदे फिर पीछे पछतायेगा।।
तू कहता है मेरी काया काया का गुमान क्या।
चांद सा सुंदर यह तन तेरा मिट्टी में मिल जाएगा।।
बालापन में खेला खाया आई जवानी मस्त रहा।
बुड्ढा पन में रोग सताए खाट पड़ा पछताएगा।।
वहां से क्या तू लाया बंदे यहां से क्या ले जाएगा।
मुट्ठी बांध के आया बंदे हाथ पसारे जायेगा।।
जपना है सो जप ले बंदे आखिर तो मिट जाएगा।
कहत कबीर सुनो भाई साधो करनी का फल पाएगा।।
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