*168 बाहर ढूंढने जा मत सजनी।।67।।

बाहर ढूंढन जा मत सजनी पिया घर बीच विराज रहे री।
गगन मंडल में सेज बिछी है अनहद बाजे बाज रहे री।।
अमृत बरसे बिजली चमके घूमर घूमर घन गाज रहे री।।
परम मनोहर तेज पिया को रवि शशि मंडल लाज रहे री।।
ब्रह्मानंद निरख छवि सुंदर आनंद मंगल छाज रहे री।।

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