*855 ले के जग से बुराई मत जाना रे।।401।।
ले के जग से बुराई मत जाना रे।।
घर आए को भगवान समझना अपना सा इंसान समझना।
सबसे मीठी वाणी बोल रे प्रेम है अनमोल रे।
मत तीखे वचन सुनाना रे।।
ना बंदे तू औरों पर हंसना खुद अपने कर्मों में ना फंसना।
आज मेरा कल तेरा लेकिन फिर है अंधेरा।
सदा एक सा ना रहता जमाना रे।।
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