*623 हरि के बिना रे साधु सुना पड़ा जो देश।।623।।

                                623
हरि के बिना रे साधु, सूना पड़ा यो देश।
ऐसा कोई हरि से मिला दे तन मन धन करूं पेश।।
तुम्हारे कारण बन बन डोलूं, कर जोगन का भेष।।
प्रीतम प्यारे दरस दिखा दो रहता है बहुत क्लेश।।
अवधी बढ़ी गुरु आज ना आए रूपा हो गए केश।।
मीरा के प्रभु गिरिधर नागर तज गए नगर नरेश।।

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