*773 पाखंडी दुनिया कहो ना कैसे तरिया।।367।।
पाखंडी दुनिया कहो ना कैसे तरियां।।
माटी धूल का सैयद बनाकर पूजे लोग लुगाइयां।
चेतन जीव ने क्यों ना पूजे जो मुख भर के खाइया।।
कुंभरे के तैं तीया मंगा के टीकम टीका करिया।
एक मुर्गी का अंडा मंगा के चौराहे पर धरिया।।
छोरे के बाल कटावन चाली, कैंची ना लग दईया।
एक बकरी का बच्चा मंगा के सन्मुख नाड़ कटैया।।
जीते के संग धक्कम धक्का मरे ने गंगा पहुंचाइया।
सोलह कनागत खीर बनाकर गाय ने बाप बनाइया।
कहे कबीर सुनो भाई साधो यह पद है निर्गुणीया।
भूत ने पूजो भूत बनोगे यम की चोटा खाइयां।।
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