*60 पाया है अब पाया है म्हारे सतगुरु भेद बताया है।। ब्रह्मानंद।। 20

पाया है अब पाया है म्हारे सतगुरु भेद बताया है।।

सोना जेवर घड़े सुनारा, भांति भांति सब न्यारा न्यारा।
जब मैं बेचन गई बाजारा, भाव बराबर आया है।।

चतुर जुलाहे बनिया ताना बुनिया वस्त्र बहुत सुहाना।
एक ही ताना एक ही बाना, सब में सूत लगाया है।।

मिट्टी चाक कुम्हार फिरावे, बर्तन नाना भांति बनावे।
किसम किसम के रंग लगावे एक से एक सजाया है।।

सुर नर मुनि जन खग जीव जहाना, 
                                 ऊंच-नीच सब भेद मिटाना।
ब्रह्मानंद स्वरूप पहचाना, सब घट एक समाया है।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35