*387 हे बंजारन तेरा छोड़ चला बंजारा।। 162

                              162
हे बंजारन तेरा छोड़ चला बंजारा।।

इस काया में सात समुंदर कोई मीठा कोई खारा।
इस काया में गंगा जमुना, बहे धारा त्रिवेणी धारा।।

इस काया में सोना चांदी माहे भजे सुनारा सुनारा।
तीन सो साठ की टूम घड़ा ले, माहे तेरा सिंगारा।।

इस काया में चोर वसत हैं माही पकड़ने वाला।
इसका काया में चांद सूरज है, मां है नौलखा तारा।।

इस काया में बाजा बाजे हारमोनी इकतारा।
कह कबीर सुनो भाई साधो भेद किसी ने ना पाया।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35