*361 कोई ऑन करो व्यापार घाटा रहता ना।। 153

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कोई ऑन करो या पार घाटा रहता ना।
कंगला भिखारी बन के चला राम नाम का औढ दुशाला।
                         कभी ना आवे हार।।
हे सतगुरु जी महिमा थारी कंगले का पलड़ा रहता भारी।
                         तेरा भरा पड़ा भंडार।।
सत्य हीये में धरके तोले, सतगुरु आकर बोली बोले
                       ले लो नर से नार।।
हरदम रस्ते चलता जावे पांच लुटेरे नहीं सतावे।
                         उत्तरा सारा भार।।
दीना दासी रहा बताएं सतगुरु सत्य का सौदा करावे।
                        सत्यानंद गुरु सिरजनहार।।

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