*931 मन का मैल ना जावे।।427।।

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मन का मैल ना जावे गुरु बिन मन का।
जनम जनम के दोष सारे सतगुरु छुड़वावे।।

सतगुरु धोबी सत्य का साबुन जो इसने धो लावे।
त्रिगुण मेल लगा जुग-जुग का गुरु बिन कौन छुड़ावे।।

साध संगत की घूम चढ़ाले, सभी मेल कट जावे।
शील शिला पे दे फटकारा सतगुरु धो बतलावे।।

मैंल कुचेल रहे नहीं कोई जब ऊजलाई आवे।
घीसा संत मिले पूरे धोबी जीता दास छुडावे।।

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