*890 मन राम सुमर ले ला ले गुरु में ध्यान।।

मन राम सुमर ले लाले गुरु में ध्यान।।

स्वासा रूपी पूंजी लाया आज झगड़े में भूल भुलाया।
ब्याज सहित त्नै मूल गंवाया, कुछ भी ना आया काम।।

इच्छा आशा तृष्णा जागी बुद्धि इनमे ऐसी लागी।
विषय वासना में फिरे हैं भागी तने लूट रहा अभिमान।।

बुरी करन से खोफ ना करता जैसी करनी वैसी भरता।
भली साख एक भी ना सुनता बंद कर बैठा कान।।

सत्संगति नीति ही करना ध्यान गुरु के लाओ चरणों।
बार-बार नहीं जीना मरना भटको ना चारों खान।।

सतगुरु ताराचंद समझाते भाई, करले करले नाम कमाई।
कंवर इसी में तेरी भलाई कौड़ी लगे ना दाम।।

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