*921 मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन।।423।।

                               423
मन की तरंग मार लो बस हो गया भजन।
आदत अपनी सुधार लो बस हो गया भजन।।
आए हो तुम कहां से जाओगे तुम कहां। 
             इतना तो दिन विचार लो बस हो गया भजन।
कोई तुम्हें बुरा कहे तुम सुन करो क्षमा।
            वाणी का सुर संभाल लो बस हो गया भजन।।
नेकी सभी के साथ में बन जाए तो करो।
         मत सि रबदी का भार लो बस हो गया भजन।।
कहना है साफ साफ यह सतगुरु कबीर का।
            निज दोष को निहार लो बस हो गया भजन

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35