*938 साफ कर दिल के शीशे को साहेब मन में बसता है।।429।।

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साफ कर दिल के शीशे को साहब मन में बसता है।

मम्मी बता राम पत्थर में चाहे दिन-रात करो पूजा।
      आपके भीतर यही एक खास रस्ता है।।

फिर क्यों पहाड़ जंगलों में मरो क्यों भूख और प्यासा।
        लगाकर चोगिर्दे धूनी तू अग्नि में क्यों जलता है।।

नाहक वेदों में पचता, वह इनसे भी न्यारा है।
       चाहे दिन रात पड़ गीता ना सुनने राम आता है।।

भरम का पाढ़ दे पर्दा दुई को दूर कर प्यारे।
      कपट की भक्ति अच्छी ना देख मालिक हंसता है।।

लेकर नाम सतगुरु का, ध्यान अंदर लगाता जा।
       बैठ जा सकती के पल्ले में बराबर  वो ही करता है।।

सतगुरु राम सिंह मेरे पिलावत प्यार का प्याला।
       सतगुरु ताराचंद जोड़े हाथ राधास्वामी कहते हैं।।

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