*616 बोलता नजर नहीं आया म्हारे साधु।।616।।

                                616
बोलता नजर नहीं आया तुम्हारे साधु।।

बिना मूल एक दरख्त देखा, पात नजर नहीं आया।
जब मेरा मनवा हुआ दीवाना तोड़ तोड़ फल खाया।।

बिना ताल एक सरवर देखा नीर नजर नहीं आया।
जब मेरा मनवा हुआ दीवाना कूद कूद के नहाया।।

बिना ढूंढे एक हाथी देखा नैन नजर नहीं आया।
जब मेरा मनवा हुआ दीवाना राक्षस मार गिराया।।

बंद कोठरी में साधु तपता हाड मास नहीं पाया।
 कह कबीर सुनो भाई साधो भेद कछु नहीं पाया।।

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