*672 चुग हंसा मोती।।672।।

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चुग हंसा मोती मानसरोवर ताल।।
सात समुंदर पुर रहे रे उठे कुदरती खाल।
इनको समझ के तुम नहा ले ने बिल्कुल मत करें टाल।।
आगे पर्वत गुफा सुंदरी देखत भये निहाल।
वहां मोती सदा निपजते कभी न पड़ता काल।।
सूरत पलट के देख प्यारे, खिला अमोलक लाल।
चांद सूरज वहां दोनों नाही, जले कुदरती मशाल।।
अजब रोशनी देखी कोना न्यू ए बिता दिए साल।
कव्वा काग गिद्ध के जंग में न्यू ए उम्र दई गाल।।
भवसागर तै तरना चाहबे, सदगुरु वचन संभाल।
आज्ञाराम ये काट चौरासी, मार शब्द की भाल।।


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