*242 राम सुमर ले सुकृत करले आगे आदोआवेगो।93।।

राम सुमर ले सुकृत करले आगे आडो आवेलो।
चेत सके तो चेत मानवी रीतो ही रह जावेगो।

मात-पिता के पांया पूजो जिसने तुम को जन्म दिया।
सरवन जैसा लाल बनो भाई जिसका अमर नाम हुआ।
     करले सेवा पावे मेवा जन्म सफल हो जावेगो।।

बालापन हंस खेल गंवा जोबन ऐश आराम करें।
बुढ़ापे में हुआ रोगी, खींच खींच के पांव धरे।
    घर की नारी बोलने खारी कब बूढलो मर जावेगो।।

स्वार्थ की दुनियादारी स्वार्थ का सब नाता है।
अंत समय में जाए अकेला हंस अकेला जाता है।
      धन और माया धरी रहेगी आखिर में पछतावेगो।

संत समागम कर ले प्यारे सत्संग का फल मीठा जी।
जिसने खाया अमर हो गया पापी रह गया रीता जी।
     दास महंत कहे मनुष्य जन्म तेरा बार-बार नहीं आवेगो।।

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