*636 सदगुरु बांटे सै पुड़िया ज्ञान की।।636।।

                              636
सदगुरु बांटे सै, पुड़िया ज्ञान की।।

बाहर नही धरणी या भीतर नही धरनी।
          हृदय में धर नी सै पुड़िया।।

साबुन नही लगता, सोडा नहीं लगता।
          मैल न काटे सै।।

 गोली नहीं लगती, दवाई नहीं लगती।
           रोग ने काटे सै।।

कहत कबीर सुनो भई साधो।
           या पार उतारै सै।।

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