*658 हंसा निकल गया पिंजरे से।।658।।
658
हंसा निकल गया पिंजरे से, खाली पड़ी रही तस्वीर।।यम के दूध लेने को आवे तनक धरे ना धीर।
मार के सौटा प्राण काढ ले,बहे नैन से नीर।।
बहुत मनाए दही देवता बहुत मनाए पीर।
अंत समय कोई काम ना आवे, जाना पड़े अखिर।।
कोई रोग है कोई तने महल आवे कोई उड़ावे चीज खीर।
चार जने रल मां का उपाय ले गए मरघट तीर।।
भाग्य कर्म की कोई ना जाने संग ना चले शरीर।
जा जंगल में डेरा ला दिया, कह गए दास कबीर।।
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