*172 कदे बाप के कदे पति के।।68।।

कदे बाप के कदे पति के न्यू के पार पड़े सजनी।
           मेर तेर ने तोड़ बगा दे,करदे न लाज परे सजनी।।

कदे अंदर को कदे बाहर को एक जगह पे डटती ना।
एक जगह पे डटे बिना तनै पिया की मालूम पटती ना।
पियाकी मालूम पटे बिना तूं, जग से न्यारी छंटती ना।
जग से न्यारी छटे बिना तेरी, लाख चौरासी कट ती ना।
          अविनाशी है पति तेरा, कदे जामे नही मरे सजनी।।
          किस मूर्ख ने बहका दई तूं, विधवा हुई फिरे सजनी।।

चाचा ताऊ भाई भतीजे,ये तनै जाने देंगे ना।
जावन की तूं बात करे, तनै कदम उठाने देंगे ना।
कदम उठाना दूर रहा तने जिक्र चलाने देंगे ना
जिक्र चलाना दूर रहा, तनै खत पहुंचाने देंगे ना।
          दोनों तरफ की कर चिंता तूं, खाली कष्ट भरे सजनी।
          तेरे कर्म का रोग भोग, ओरा के शीश धरे सजनी।।

घर कुनबे के मोह में फंस के, देश पिया के जाती ना।
देश पिया के जाए बिना, तनै पिया की राह मन भाती ना।
पिया की राह मन भाए बिना, तेरै रमझ समझ में आती ना।
रमझसमझ को पाए बिना तूं, मुक्ति पद को पाती ना।
           जाल भ्रम फंस के न तूं, कोन्या पार तरे सजनी।।
          भवसागर से पार हुए बिन, कोन्या काज सरै सजनी।।

बिना देश का देश वहां पे, बिना धाम का धाम वहां।
बिना धाम का धाम वहां पे, बिना शाम का शाम वहां।
बिना शाम का शाम वहां पे, बिना राम का राम वहां।
बिना राम का राम वहां हे, आठों पहर आराम वहां।
      उसी देश की करो खोज, क्यों बाहर गमन करे सजनी।।
      आत्मानंद ओंकार निरंजन,जामन मरण हरे सजनी।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35