*880 बदल जा हो मनवा हो जागा बेड़ा पार।।411।।
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बदल जा हो मनवा, हो जागा बेड़ा पार।।सोने-चांदी में चोंच मंढा दई, चला हंस की चाल।
कौवा बाण कदे ना छोड़े, आदत से लाचार।।
जुग जुग सिंचो अरंड दूध से, लगते नहीं अनार।
चूर चूर चंदन कर डारो, तजे नहीं महकार।।
सज्जन के मुंह अमीरस बरसे जब बोलने तब प्यार।
दुर्जन का मुंह बंद कर रखो, भट्टी भरे हैं अंगार।।
कहे कबीर सुनो भाई साधो, पकड़ शब्द टकसार।
सच्चे गुरु का शरना ले ले, हो जाएंगे परले पार
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