*617 संगत तो कर ले साध की।।617।।

                          617
संगत तो कर ले साध की, या में उपजेगा आतम ज्ञान।
जल देखे सुख उपजे जी, साधू देखे ज्ञान।
माया देखे लोभ उपजे जी,  तीरिया देखें काम।।
साधु माई बाप है जी साधु भाई बंध।
संत मिलावें राम से जी कांटे वे यम के फंद ।।
संत हमारी आत्मा जी हम संत की देह।
रोम रोम में रम रहा जी ज्यों बादल में मेंह।।
सत्संग की आधी घड़ी जी, आधी से पुनः आध।
तुलसी संगत साधु की, हरे कोट अपराध।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35