*844 दुनिया में हो बाबा नहीं है गुजारा किसी ढब से।।395।।

दुनिया में हो बाबा नहीं है गुजारा किसी ढब से।।

कर्म रहे तो कैसा जोगी वन में गया तो विपता भोगी।
मांगे भीख बतावे योगी, त्यागी बना है कब से।।

बोले तो वाचाल भया है ना बोले तो गर्भाय रहा है।
करे खुशामद आया है, डरे हमारे गब से।।

धर्म करें तो द्रव्य लुटावे, नहीं करें तो सूम बतावे।
क्या कहूं कुछ कहा नहीं जावे, प्रीत करें मत रब से।।

आचार करूं पाखंड बतावे, नहीं करूं तो पशु बतावें।
हांसू तो कह यह मस्तावे, रोऊं तो कौन मरज से।।

निंदा स्तुति दोनों त्यागें  शुभ अशुभ पीठ दे भागें।
रामप्रताप चरण चित्त लागे तब जीते इस जग से।।

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