*618 निंदक यार हमारा।।618।।

                                 618
निंदक यार हमारा रे साधो, निंदक यार हमारा।।
निंदक नियरे ही रखो, होन नहीं दो न्यारा।।

पीछे निंदा कर अघ धोवे, सुन मन मिटे विकारा।
जैसे सोना ताप अगन में, निर्मल करे सुनारा।।

घन आहरण कर हीरा निपजे, कीमत लाख हजारा।।
ऐसे परखे संत दुष्ट को, करें जगत उजियारा।।

योग यज्ञ तप पाप कटन से, करें सफल संसारा।
बिन करनी मय कर्म कठिन सब, मेटे निंदक प्यारा।।

सुखी रहो निंदक जग माही, रोग ना हो तन छारा।
 म्हारी निंदा करने वाला, उतरो भव जल पारा।।

निंदक के चरणों की पूजा, करूं मैं बारंबारा।
 चरण दास कह सुनियो साधु, निंदक साधक भारा।।

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