*634 रे सुना था हमने।।634।।

रे सुना था हमने गुरु अपने का ज्ञान।
 देखत देखत नैना थक गए सुनते सुनते कान।।

धुए से महीन पवन से जीना ना वा के जीव ना जान।
कब लग वाका करूं वर्णन बखानूँ, लो लागे ना ध्यान।।

दृष्ट मुष्ट में आवे नाही, ना वा के पिंड दान।
 देखत देखत नैना थक गए सुनते सुनते कान।।

 हिंदू तो पुस्तक में देखें मुसलमान कुरान।
यह दोनों कागज में रहेगी पाया ना निज नाम।।

खसखस माना मेरु समाना राई में खलक जहान।
चौदह तक तका गरव निवारा, रहा थाम का ठाम।।

या सुमरे भय कल ना व्यापे, यह पद है निर्वाण।
कहत कबीर सुनो भाई साधो मिट जाए आवन जान।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35