*648 हेली हमने नींद ना आवे।।648।।
648
हेली हमने नींद ना आवे सो गए हैं नगरिया सारी।।चेतन चिराग प्यारी, चांदना हवेली में।
बगड़ में अंधेरी छाई, डरूं थी घनेली में।।
नोऊ खिड़की बंद करके, सोचती अकेली मैं
पिया पिया टेरन लागी, नार थी नवेली में।।
इतने मैं एक शब्द हुआ था, ओहम सोहम प्यारी का।
श्याम सुंदर मंदिर अंदर, खड़ी पुकारू हेली में।।
सुन्न शिखर में सेज पिया की, बाह पकड़ के लेली मैं।
टीकम दास बहुत सुख पाई, पिया संग चौसर खेली मैं।।
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