*873 रे मन मान जा तन की।।409।।
409
अरे मन मान जा तन की बनेगी एक दिन माटी।। खोटी खोटी करे कमाई खूब जोड़ ली गांठी।
इसी कमाई कर ले बंदे, कदे ना जाए बाटी।।
जैसी करता वैसी भरता यह समझन की बाती।
यह संसार कर्म की खेती जो बोई सो काटी।।
वेद कुरान दो दिन बना दिए और बना दी जाति।
संत कहे सब एक समान क्या धोबी क्या खाती।।
एक दिन हो जंगल में डेरा नहीं समझ में आती।
माटी में तेरी माटी मिल जा राख कहीं उड़ जाती।।
सतगुरु जी के चरणों हो ले, बेड़ा पार लगा दी।
विजय कुमार सोनी जी सहज कटे चौरासी।।
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