*848 सोचो जरा तुम करो विचार क्यों तूं आया है।। 398

सोचो जरा तुम करो विचार, मानव जन्म नहीं हर बार।
क्यों तूं आया है इस संसार में। क्या तूने पाया है।।
कर ले प्रभु की भक्ति, पा ले जन्म मरण से मुक्ति।
माया के चक्कर में, तूने सारी लगा दी शक्ति।  
            भूल गया तूं प्रभु को, हीरा जन्म गंवाया है।। 
तूने दौलत खूब कमाई, पर की ना किसी की भलाई।
सब यहीं पड़ी रह जाई, तेरे संग न दौलत जाई।
              मस्त रहा तूं इस संसार में।।

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