*624 रहना नहीं देश वीराना है।।624
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रहना नहीं देश बिराना है।।ये संसार कागज की पुड़िया बूंद लगे गल जाना है।।
ये संसार कांटे की बाड़ी, उलझ उलझ मर जाना है।।
यह संसार झाड़ और झनखंड, आग लगे जल जाना है।।
कहे कबीर सुनो भाई साधो, सत्य नाम ठिकाना है।।
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