*652 हे तने मानसरोवर जाना है।।652।।

                               652
हे तने मानसरोवर न्हाना है तू चल जा  सत्य की हेली।।
तने अमरापुर में जाना है तू चल जा सत की हेली।।

तेरे रस्ते में चोर घनेरे चारों तरफ लगा लिए डेरे।
       महाबली यह दुश्मन तेरे ले मार ज्ञान की गोली।।

झूठ कपट मैं त्याग बावली सतगुरु जी की बैक नाव री।
      नहाना चाहवे घनी तावली, तो कर संतो से मेली।।

मोह ममता ने परे हटा के, चरना गांठ जुगत की ला के।
       मानसरोवर तट पर जाके, कर संग की सखी सहेली।।

अपने आपे का भाव मिटा के, सखियां संग त्रिवेणी जाके।             मोती चुग सतलोक में जाकर तू बन जा नार नवेली।।

चेतन ध्यान अलख संग लाके, सुख आनंद में सोवे जाके।                गरीब दास के दर्शन पाके मिल सच्चिदानंद गैली।।

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