*858 गुरु चरणों से प्रीत ना जोड़ी जग से रिश्ता जोड़ लिया।403।।
403
विषयों के चक्कर में पड़कर, प्रभु से नाता तोड़ लिया।।
गर्भ की अग्नि में रख रहा था कहता था प्रभु आओ तुम।
नरक कुंड में लटक रहा हूं आ कर मुझे बचाओ तुम।
अब सब कुछ क्यों भूला बंदे,
नाम भजन क्यों छोड़ दिया।।
बचपन बीता खेलकूद में और जवानी भोगों में।
वृद्धावस्था चली जा रही, तृष्णा चिंता रोगों मे।
माया की इस चकाचौंध में,
ज्ञान रतन क्यों फोड़ दिया।।
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