*601 संतो घर में झगड़ा भारी।।601।।
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संतो घर में झगड़ा भारी।।रात दिवस मिल उठ उठ लागे, पांच चोर एक नारी।
न्यारो न्यारो भोजन चाहे, चारों अधिक स्वादी।
कोई काहू की बात ना माने, आपे आप मुरादी।।
दुर्गति के दिन गिन भेंटे, चोर ही आप चोबेरे।
कहे कबीर सुनो सो जन पूरा, जो घर की रार निवेरे।।
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