*619 चलो चलें हम बेगमपुर गांव रे।।619।।
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चलो चलें हम बेगमपुर गांव रे। मन से कहीं दूर कहीं आत्मा की राहों में।।
चलो चलें हम एक साथ वहां, रूप रेख ना रंग जहां।
दुख सुख में हम समान हो जाए।।
प्रेम नगर के वासी हैं हम, आवागमन मिटाया है।
शांति सरोवर में नित्य ही नहाए।।
देह कि वहां कोई बात नहीं मन के मालिक खुद हैं हम।
अपने स्वरूप में गुम हो जाए।।
मुक्ति स्वरूप पहले से ही हैं खटपट यह सब मन की है।
मन को मार भगाया है हमने।।
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