*897 मन को डांट ले गुरु वचन पर।।416।।

                                  416
मन को डांट ले गुरु वचन पे, जम जालिम का मीठे खटका।।
आदत है इसकी भागन की मानेगा नहीं यह हठ का।
जहां से हटावें वही जावेगा, पक्का है अपनी हठ का।।
इतना समझाऊं एक ना माने फिरता है भटका भटका।
ज्ञानी योगी पैगंबर मारे, काम क्रोध का दे झटका।
बिना बात नित भरे उडारी, एक ठोर पर नहीं डटता।
बुद्धि चित्त अहंकार सभी पर हुकुम इसी का है चलता।।
नाम लगाम बिना नहीं रुकेगा, घाल लगाम और बांध पटका।
सतगुरु ताराचंद कहे समझ कंवर,
                         क्यों फिरता है भटका भटका।।

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