*211 समर्थ साहब दया करो मेरा।।82

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दयालु साहब दया करो मेरा।।
दर्शन बिना बहुत दिन बीते, बिसर गया रे वो डेरा।।

जब से तेरे घर को भुला, किया जगत का फेरा।
मायामोह जन्म बन्धन मिले, लाग पड़ा उलझेड़ा।।  

विषय लहर पर मोढ़े मन को, माचन माहीं बसेरा।  
तो को छोड़ जहां चित्त दीजे, वहीँ काल का डेरा।। 

स्वामी गुमानी नूर निशानी, दर्शन देत सवेरा।
नित्यानंद है दास तुम्हारा,  मिटा जन्म जन्म का फेरा।।

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