*664 कर ले भाई हंसा।।664।।
664
कर ले भाई हंसा, सद्गुरुआँ तैं मेल।।बिन सद्गुरु तेरा मिटेनहीं भई, जन्म मरण का खेल।
सद्गुरु हैं दातार दयालु, काटैं जम की जेल।।
तूँ न किसी का कोई न तेरा, झूठा जगत का मेल।
एक मिनट में ढह ज्यागा, तेरा बना बनाया खेल।।
इब तेरा मौका हरि मिलन का, मतना रह बे चेत।
इब के मौका चूक गया तो, पड़ै नर्क की जेल।।
सद्गुरु माइलाल ने जयकरण को, दिया अगम का भेद।
निर्भय होके सत्संग करना, दया कमल में खेल।।
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