*930 ऐसी सैन समझ मन मेरा।।427।।

ऐसी सैन समझ मन मेरा, समझाये घर पावै जी।
बहुत सन्त हुए ओर होंगे, सारा ए समझ सुनावै जी।।

जागयाँ बिना नींद ना जावै, बिन पारख पच हारै जी।
जागै क्यूँ ना भूल में सोता, बोलै जन्म गंवावै जी।।

जागे बिना जुगत ना दरसै, हर मरहम मण्डरावै जी।
अपने दिल को क्यूँ ना खोजै, गैल्या ज्ञान गुणावै जी।।

जाग्या वही जुगां जुग जीता, समझदार दिखावै जी।
जैसा होवै वैसा घर पावै, फेर जन्म ना आवै जी।। 

हर गुरु सन्त एक कर जाणै, दुतिया दूर भगावै जी।
कह बन्ना नाथ सुनो भइ साधो, अमरापुर में जावै जी।।


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