*903 भूले मन समझ के लाद।।418।।

                                  418
भूलेमन समझ के लाद लदनियां।।
थोड़ा लाद बहुत मत लादें, टूट जाए तेरी गरदनिया।।
भूखों होय तो भोजन पा ले, आगे हाट न बनिया।। 
प्यासों होय तो पानी पीले, आगे देश निपनिया।।
कह कबीर सुनो भई साधो, काल के हाथ कमनीया।।


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