*180 महारे सद्गुरु दीनदयाल हे सखी।। 71
तुम्हारे सतगुरु दीन दयाल ए सखी काटे फंद चोरासी के।।
सतगुरु औरतें पारस पथरी भवसागर तरने की कतरी।
देते दया की झाल हे सखी।।
दुख दुनिया का काटने वाले सब को अमृत बांटने वाले।
वे भरें अमृत के ताल हे सखी।।
काटे सकल क्लेश गुरुजी ब्रह्मा विष्णु महेश गुरुजी।
राम लखन गोपाल हे सखी।।
दादा रामकिशन तप धारी चंद्रभान गुरु चमत्कारी।
जिनका नाम है कृष्ण लाल हे सखी।।
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