*371 हटड़ी छोड़ चला बंजारा।। 158

                                    
हटड़ी छोड़ चला बंजारा।।
इस हटड़ी विच मानक मोती, विरला ए परखनहारा।।
इस हटड़ी मे नो दरवाजे, दसवां है ठाकुरद्वारा।। 
निकल गई तब ढह गया मंदिर, रह गया चिक्कट गारा।।
कह कबीर सुनो भई साधो, झूठा ये जगत पसारा।।

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