*120 ऐसा ऐसा खयाल विचारों भाई।। 49
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ऐसा-२ख्यालविचारों भाईसाधो, कौनपुरूषकौननारी जी।
या को भेद बता ब्रह्मचारी जी।।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव शंकर, तीनों ही म्हारा जाया
तीनों की मैं लागूँ स्त्री, तीनों को गोद खिलाया।।
नहीं परणी नहीं क्वांरी, मैं बेटा जन जन हारी।।
काली मूँड़ का एक न छोड़ा, फिर भी अगन कंवारी।।
सुसरो म्हारो बालक बौरो, सासु अकन कुंवारी।
परणो म्हारो झूलै पालना, मैं सूं झुलावनहारी।।
पंडता घर पन्डतानी बाजूं, साधां घर में चेली।
मुसलमान घर बाजूं बीनणी, कलमा पढ़ पढ़ हारी।।
कह कबीर सुनो भई साधो, ये पद है निर्वाणी।
जो इस पद की करे खोजना, वही पुरूष हम नारी।।
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