*,756 आज के युग में।।356।।

                              336
आज के युग में मानवता, इंसान छोड़ कर दूर हुए।
इसीलिए मंदिर मस्जिद भगवान छोड़ कर दूर हुए।
    कर्म भी पैसा धर्म भी पैसा, और पैसा ईमान बना।
    मोहमाया में फंस गया इतना, अब पैसा भगवान बना।
माया के चक्र में वेद, पुराण छोड़ कर दूर हुए।। 
   झूठे जग में फंस गया इतना, हरि का नाम भुलाया है।
   झूठे जग में डूब गया, मोहमाया में भरमाया है।
मतलब की खातिर ये धर्म, ईमान छोड़ कर दूर हुए।।
  झूठे नाते बना लिए हैं, अब सेवा सत्कार नहीं।
  मतलब की खातिर अपना है, जग में सच्चा प्यार नहीं।
अब इंसान इंसानों की,पहचान छोड़ कर दूर हुए।।



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