*363 आया था नफा कमावन।। 154

                            
आया था नफा कमावन, टोटा गेर लिया रे।।
पिछली पूंजी घटती जारही, आगै करता ना तैयारी।
एक दिन या चूक लेगी सारी, तौसा सेर लिया रे।।
सुत नारी का मोह करै सै, इब तो मूर्ख विपद भरै सै।
निशदिन चिंता बीच जलै सै, झगड़ा छेड़ लिया रे।। 
हरि के जाना होगा साहमी, मतना शीश धरै बदनामी।
तूँ असली नमक हरामी, मुखड़ा फेर लिया रे।।
धर्म ने छोड़ करै मतचाला, तेरा ममता ने कर दिया गाला।
अहंकार नाग है काला, तूँ तो घेर लिया रे।।
श्रीहरीस्वरूप कथन है चन्दन, समझे उसके काटे बन्धन।
सत्तनाम धर्म जगत का नन्दन, कई बर टेर लिया रे।।

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