*379 तेरा चिड़िया ने खा।। 159

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तेरा चिड़िया ने खा लिया खेत,रखवारा पडकै सो गया।।

चिड़ी तृष्णा मोह गोलियां, चुग चुग खावै ज्वार।
किस गफ़लत में सोया बाबले, उठ के तूँ गोला मार।।

चारोँ तरफ के उड़ उड़ पक्षी, बैठे क्यारी माय।
चारोँ कोने घिरे खेत के, निर्मल सर्टी खायँ।।

सद्गुरु शब्द गोफ़िया लेके, गोला ज्ञान टिकाये। 
जिक्र फिक्र का छोर फटक ना,शब्द ने वर उड़ जाए।।

जब तेरा खेत उजड़ जा भोंदू हो जाएगा कंगाल।
घीसा सन्त कह जीता से, फेर के अड़ावैगा ढाल।।

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