*940 करो रे मन वा दिन की तदबीर।।430।।
430
करो रे मन वा, दिन की तदबीर।।
भँवसागर एक नदी अगम है, जल बाढ़े गम्भीर।
गहरी नदियां नाव पुरानी, खेवनिया बेपीर।।
यम के दूत पकड़ ले जावै, तनक धरै ना धीर।
मारैं सोंटा प्राण काढ़ लें, बहे नैन से नीर।।
जब यमराजा,लम्बे बांधै, व्याकुल भयो शरीर।।
कह कबीर सुनो भई साधो, अब न करेंगें तकसीर।।
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