*904 मन परदेसी रे यहाँ।।418।।
418
मन प्रदेशी रे, यहाँ न तेरा देश।।
सत्त बोलो औरसत्त में रहना, जैसी कहे कोई वैसी सहना।
ये है तेरी मोक्ष का लहना, इस को रटो हमेश।।
सत्त वचन गुरू जी का मानो, जगजाल झूठा कर जानो।
ये है तेरा सत्य ये जानो, सद्गुरु भजो हमेश।।
जहाँ भी देखो रूप हमारा, कोई नहीं है हम से न्यारा।
यही मूल मंत्र है हमारा, ध्यान लगा के देख।।
रविदास तो सत्य लखागे, धर्मिदास चरणों चित्त लागे।
मीरा जी को सत्य बतागे, सद्गुरु का उपदेश।।
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