*390 टांडा लाद चला बंजारा।। 163

                             
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टांडा लाद चला बंजारा, रोती छोड़ी बंजारी।।
जहां रहता था तेरा डेरा, तूँ कहता था मेरा मेरा।
एक दिन होजां गमन सवेरा, तज यारां की यारी।
                     फेर कुनबा कौन है प्यारा।।
कुँआ तालाब बावड़ी मंदिर, छोड़ चाहे जंगल के अंदर।
16 साल की छोड़ी पुनगर, ना बाण लगै प्यारी। 
                    इने कुनबा कौन है प्यारा।।
सात फेरों की जो थी ब्याहता, तोड़ चाहे तूँ उससे नाता।
कैसा अब तूँ बने विधाता, थारी याद में कुँवारी।
                   अब कैसे होय गुजारा।।
तेरी क्या ताक़त है प्यारे, लाखों चले गए बंजारे।
घीसा कहे सुन पण्डिता प्यारे, अब करले न त्यारी।
                      ये जग है ढूंढ पसारा।।

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