*664 रे हंसा भाई हो जा न।।664।।
664
रे हंसा भाई हो जा न नाम दीवाना।।
हर पल सुमरन करो नाम का, गुरु चरणों चित्त लाना।
एक आश विश्वास गुरु का, हरदम धर ले ध्याना।
ध्यान धरो अधर आंगन में, जगत बहुत बिसराना।
मनसा वाचा कर्म साथ ले, पावै पड़ निर्वाणा।
नाम नैया चढ़ के उतरै, हरदम रहे मस्ताना।
पाँच तत्व का छोड़ साथ दे, छोड़ भरम भरमाना।
शील सत्य क्षमा ढाल हाथ ले, जीतो जंग मैदाना।
आपै अंतर आप बैठ के, निशदिन रहो हरषाना।।
सद्गुरु ताराचंद समझावै कंवर ने, कर किया बौराना।
नाम अमरफल कल्पतरु है, सहज ही नाम कमाना।।
Comments
Post a Comment