*622 जावेंगे दीवाने देश।।622।।
622
जावेंगे दीवाने देश, फेर नहीं आवेंगे।।
ऊंचे ऊंचे मन्दिर हेली, गुरु जी डेरा,
पकड़ डोर चढ़ जावेंगे।।
सुन्न बिच शहर शहर बिच बस्ती,
न्यारा ए नगर बसावांगे।।
खीर खांड का अमृत भोजन,
गुरुआं ने न्योंत जिमावांगे।।
कह कमाली कबीरा थारी बाली,
नूर में नूर समावांगे।।
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