*613 साधो है मुर्दा का देश।।613।।
613
साधो है मुरदां का देश, एक सन्तों का देश निराला।।
पीर मरा पैगम्बर मर गया, मर गया जिंदा जोगी।
राजा मर गया प्रजा मर गई, मरा वैद्य ओर रोगी।।
चन्दा मर गया सूरज मर गया, मरगया धरण आकाशा।
चोदह लोक का मरा चौधरी, इस कि भी के आशा।।
नोउ मरगे दसों मरगे, मर गए सहस अठासी।
तेतीस करोड़ देवता मर गए, ये पड़े काल की फांसी।।
नाम अनामी सदा सत्त है, दूजा सन्त न होई।
कह कबीर सुनो भई साधो, भटक मरो मत कोई।।
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